Wednesday, July 21, 2010

श्रीगणेशाय नमः
श्री राम

२१-०७-२०१०
प्रिय पाठकों मेरे इस उपन्यास के प्रमुख पात्र श्री राम के लघु भ्राता लक्ष्मण हैं अतः मैंने यही प्रयत्न किया है कि उनके विषय में सत्य चित्रण ही करूँ
१-२-२००४
'मानस' के आधार पर यही घटना जन प्रचलित है कि सीता हरण प्रसंग में सीता जी ने लक्ष्मण जी को कठोर वचन नहीं कहे थे।
मैं लक्ष्मण के चरित्र का चित्रण कर रही हूँ अतः उन्हें जो पीड़ा, जो दंश, जो अंतर्द्वन्द्व रहे होंगे उनका सत्य चित्रण करना ही मेरा कर्त्तव्य और ध्येय भी था। तुलसी दास जी श्री राम के अनन्य भक्त इसलिए उन्होंने अपने ग्रन्थ में सीता जी द्वारा लक्ष्मण जी के प्रति किसी प्रकार के अनुचित वचनों का प्रयोग नहीं किया है।
मैं स्वयं को तुलसी दासजी के समक्ष रखने का प्रयत्न न करते हुए मात्र इतना कहना चाहती हूँ कि श्रीराम में मेरी भी भक्ति अनन्य है फिरभी मैंने अपनी इस रचना में जिन अंशों को जगह अरण है उनके विषय में गहन जी किया है तत्पश्चात जैसी श्री राम से प्रेरणा मिलती गई मैं वैसा ही लिखती चली गई।

3 comments:

  1. अनामिकाजी उपन्यास कहाँ है ???????

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  2. उपन्यास का इंतजार है|

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  3. satya prakash ji mera upanyaas laghubhrata saumitra ke naam se uttar pradesh hindi sansthaan ke aabhaar se prakashit ho chuka hai. yadi aap upanyaas padhna chahte hain to lucknow se uttar pradesh hindi sansthaan se athva jkm consultency services se prapt kar sakte hain jo ki upanyaas ke prakashak hain. upanyaas ko prapt karne ke liye aap jkmcon.lkw@gmail.com par mr. Satyanshu kumar se sampark kar sakte hain athva anaminky@gmail.com par bhi sampark kar sakte hain

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